FRIDAY,25,OCTOBER,2024/LOCAL DESK/BREAKING NEWS
नितेश कुमार की रिपोर्ट
जमुई/ RASHTRAVIHARLIVE 24 NEWS: संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर विश्व शांति और सुरक्षा में यूएनओ का योगदान’ विषय पर नगर परिषद स्थित आनंद विहार कॉलोनी मेंएक परिचर्चा प्रो.(डॉ) गौरी शंकर पासवान की अध्यक्षता में की गई।
अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में केकेएम कॉलेज के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि विश्व शांति और सुरक्षा की स्थापना में संयुक्त राष्ट्र संघ का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है. यूएनओ संसार की सबसे ताकतवर संस्था है. शांति और सुरक्षा इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य है। अपने उद्देश्यों और कार्यों की सफलता-असफलता के कारण प्रशंसा और भर्त्सना दोनों का पात्र बना हुआ है.उन्होंने कहा कि वीटो पावर प्राप्त पांच राष्ट्रों के आगे इस वैश्विक संस्था की एक भी नहीं चलती है. अतः यू एनओ के सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाना देश काल और परिस्थिति की अपरिहार्य मांग है.आज के बदलते जमाने में न्यू इंडिया का यूएनओ में स्थाई सदस्य बनाने के लिए चीन को छोड़कर विश्व के सैकड़ो देश भारत का समर्थन करते हैं।
डॉ.पासवान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर यदि मूल्यांकन करते हैं, तो उसकी सफलता असफलता की एक मिली-जुली तस्वीर ही उभरती है.अमेरिका और चीन जैसे शक्तिशाली देशों की मनमानी रोकने में यह निष्फल रहा है. इराक,अफगानिस्तान और कश्मीर में आतंकवादी मुद्दे पर संघ प्रायः मूकदर्शक की भूमिका में रहा है। यूएन एक ऐसे दंतहीन और नखहीन शेर की तरह है,जो दहाड़ तो सकता है,पर हमला नहीं सकता है. कुल मिलाकर कहें तो अमेरिका ने यूएनओ को बेचारा बना दिया है. उसके अनुमति के बिना संयुक्त राष्ट्र संघ में एक पत्ता भी नहीं हिलता है. उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ ( सुप) का स्थाई सदस्यता का सर्वोत्तम पात्र है. भारत के पास स्थाई सदस्यता बनने के पुख्ता आधार हैं. सभी अर्हताएं मौजूद है. इसलिए भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाना एकमात्र उचित रास्ता है.
केकेएम कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.(प्रो) देवेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व का सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद संस्था है. महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय, न्याय परिषद और सचिवालय इसके मुख्य अंग है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र भले ही संसार का सबल संस्था है, परंतु इसका अस्तित्व सुरक्षा परिषद पर आधारित है. युवाओं का बजट भी सुरक्षा परिषद के अधीन है. उसकी स्वीकृति के बिना बजट के लिए धन की आपूर्ति नहीं हो सकती है और न कोई काम. उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार प्राप्त राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र को पंगु बना दिया है.
हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ कैलाश पंडित ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवाज है. वह निराश्रित और अल्पसंख्यकों की दुख भरी आवाज सुनता है. प्रताड़ित देशों और पीड़ित जनता का रहनुमा है. यह बच्चों युवाओं वृद्धों और महिलाओं का संरक्षक है.भारत सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता हेतु मजबूत दावेदार है.उसे सदस्य बनाने में ही विश्व का कल्याण निहित है.
कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह सुशील कुमार ने परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ शक्ति संपन्न संस्था होने के बावजूद भी शक्तिहीन संस्था बनकर रह गया है. प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1929 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी जो प्रभावहीन और विफल रही. इसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी. भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र का व्यवहार सामान्य ही रहा. आतंकवाद के मुद्दे पर यूएनओ का भारत के साथ जो व्यवहार रहा, वह ज्यादा भरोसेमंद नहीं रहा. सुरक्षा परिषद में आज विस्तार की आवश्यकता है। तभी भारत स्थाई सदस्य बन सकता है। और दुनिया की आवाज मुखर होकर संयुक्त राष्ट्र में उठा सकता है।