THURSDAY,11 AUGUST,2022/STATE POLITICAL NEWS
PATNA:RASHTRA VIHAR LIVE NEWS: आखिरकार गठबंधन की गांठ खुलकर बिखर ही गई| नीतीश कुमार की दोस्ती बीजेपी से टूट गई|महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बना ली|नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली|बताया जाता है कि गठबंधन में पिछले दो वर्षों से खटपट की –बू-आ रही थी|नीतीश कुमार की नाराजगी भाजपा (BJP)से कोई बेवजह नहीं थी|मीडिया रिपोर्ट की मानें तो बिहार में जिस तरह से राजनीतिक का धुआँ उड़ रहा था यह सभी को मालूम था|सभी की जुबान पर बात आ रही थी कि JDU और BJP के गठबंधन के बीच बगावत की चिंगारी सुलग रही है|कभी न कभी यह चिंगारी धधक जाएगी,और हुआ भी वही जो राजनीतिक गलियारे में कयास लगाए जा रहे थे|यहाँ तक कि मंगलवार सुबह तक यह बात महज चर्चा में थी, लेकिन समय पलटने में देर नहीं लगी और बिहार की राजनीति में अचानक बदलाव हो गया|देखते ही देखते नीतीश कुमार BJP को झटका देकर RJD और कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार बनाने में कामयाव हो गए|सभी के मन में यह कौंध रहा है कि क्यों छोड़ना पड़ा नीतीश कुमार को BJP का साथ ,और भाजपा क्यों नहीं उन्हें रोक सकी ? इस तरह की स्थिति आखिर पैदा क्यों हो गई ? कदम से कदम मिलाकर चलने की कसमे खाकर RJD से नाता तोड़कर BJP के साथ चलने का वादा किया था|क्यों नीतीश कुमार को ऐसा कदम उठाना पड़ा जो एक बार फिर बगावत तेवर दिखाना पड़ा? जानकारों का मानना है कि बिहार में जब से पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने JDU से इस्तीफा दिया था ,उसी समय से सियासी सरगर्मी बहुत तेज हो गई थी|नीतीश कुमार की नाराजगी का मुख्य वजह फ्री हैण्ड नहीं मिलने के कारण से भी है|बताया जाता है कि आरसीपी सिंह जैसे नेताओं ने JDU से ज्यादा वफादारी BJP के प्रति दिखाते थे|आरसीपी सिंह की यही व्यवहार नीतीश कुमार को नहीं पच रहा था|कहा जाता है कि आखिर आरसीपी सिंह JDU से ज्यादा लगाव BJP से क्यों रखते थे जिसके कारण नीतीश कुमार को अखर रहा था| JDU नेताओं के अनुसार बताया जाता है कि नीतीश कुमार की मर्जी के बिना आर सी पी सिंह मंत्रीमंडल में शामिल हो गए थे|ऐसे कई वजह थी जिसमे नीतीश कुमार बेहद नाराज चल रहे थे|यह कोई नई बात नहीं है कि नीतीश कुमार के सियासी सफ़र कई बार यूं-टर्न हुआ|कई बार पल्टी मारी|हलांकि यह भी कयास है कि नीतीश कुमार खुलकर कभी प्रधानमन्त्री बनने की मंशा तो नहीं जताई ,लेकिन उनकी पार्टी नेता उनके समर्थन में उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए एक कंडीडेट बता रहे है|कहा जाता है कि नीतीश कुमार बहुत ही कुशल राजनीतिज्ञ हैं उनका निशाना वो नहीं होता है जो सबको नजर आता है|राष्ट्रपति चुनाव के बाद नीतीश कुमार अपना रुख बदल लेते हैं|एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव के बाद अपना रास्ता भाजपा से अलग कर लिए|गौर करने की बात है कि पिछली बार भी राष्ट्रपति चुनाव के बाद राजद से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया था और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी|इस बार वर्ष 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से करीब दो साल पहले अपना रास्ता बदल लिया है|ख़बरें यह भी है कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी से पिछले 15 दिनों में 3-4 बार बात कर चुके हैं|यह स्पष्ट नहीं हुआ कि दोनों नेताओं के साथ क्या वार्तालाप हुई|राजनीतिक गलियारे में यह भी सामने आ रही है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद पर अपनी दावेदारी से पहले बड़े राष्ट्रीय दिग्गज नेताओं का मनोस्थिति समझने में लगे हैं|