उच्च शिक्षण संस्थानों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की तादाद क्यों बढती जा रही है ? वजह जानें 

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SATURDAY,SEPTEMBER,03,2022/BREAKING NEWS:

ONLINE DESK/RASHTRA VIHAR LIVE NEWS: इन दिनों आम लोगों की सोच में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है|हर चुनौतियों की सामना लड़कियाँ कर रही है|लड़कों की अपेक्षा लड़कियां हर क्षेत्र में आगे कदम बढ़ा रही है|सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्रों में लड़कों से आगे लड़कियाँ निकल रही है|इसका खास वजह है शिक्षा का होना|समाज के लोगों में सोच की बदलाव आने से उच्च शिक्षा की ओर लड़कियों का कदम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है|आखिर उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं के बढ़ते दाखिलों की वजह क्या है?समाजशास्त्री इसके लिए समाज की बदलती सोच और मौजूदा सामाजिक परिदृश्य को प्रमुख वजह मानते हैं|सर्वेक्षण में पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में भी लड़कियों को उच्च शिक्षा की ओर प्रेरित किया जा रहा है|समाज में इतनी सोच आ गई है कि लड़की पढ़ी-लिखी हो तो वह आगे चल कर शादी के बाद रोजगार के माध्यम पति के साथ हाथ बटा सकती है|यह सोच है कि अगर वह नौकरी नहीं करेगी तो घर में अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई का ध्यान रख ही सकती है|समाज में यह भी देखने को मिल रहा है कि उच्च शिक्षा के बिना लड़कियों की शादी में बाधा आ रही है|विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत ही जरुरी है|इसलिए कहा जा सकता है कि देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की बढती दाखिले का तादाद उत्साहजनक है|हालाँकि कुछ क्षेत्रों में लड़कियों की अपेक्षा लड़कों का पलड़ा भारी है जैसे इंजीनियरिंग,कानून,प्रबंधन व एमबीबीएस आदि इन क्षेत्रों में अभी भी असमानता है|विशेषज्ञों ने माना है कि बहुत ज्यादा असमानता तो नही है |आंकड़े पर गौर करें तो वर्ष 2012-2013 के दौरान प्रति एक सौ लड़कों पर 38 लड़कियां थीं|जबकि एमबीबीएस की पढ़ाई में दोनों लगभग बराबरी पर है|रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-2017  शैक्षणिक सत्र के अंत में उच्च शिक्षण संस्थानों में 25.2 के अनुपात पाया गया है|यह आंकड़ा अनुपात 18 से २3 साल के बीच की कुल आबादी में से उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद के आधार पर जीईआर  तय किया जाता है|विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च शिक्षा में लड़कियों की बढती संख्यां भारत के समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा जो समाज के लिए उत्साहजनक है|  

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