नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने की इच्छा नही तो,पीएम नरेन्द्र मोदी से बदला लेने की कोई चाल तो नहीं ?

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FRIDAY,OCTOBER,07,2022/STATE DESK/BREAKING NEWS:

PATNA/RASHTRA VIHAE LIVE 24 BUREAU रिपोर्ट:आगामी लोक सभा चुनाव 2024 के मद्दे नजर नीतीश कुमार भी मजबूती से आने का मन बना लिए हैं|नीतीश कुमार पीएम नरेन्द्र मोदी को चैलेन्ज करने की बात कर रहे हैं|नीतीश कुमार की बातों से ये तो साफ है कि राष्ट्रीय राजनीति में कदम बढ़ाने की तैयारी कर चुके हैं| लेकिन यह साफ नहीं हो पा रहा है कि ये सब वो ममता बनर्जी की तरह करेंगे या अरविंद केजरीवाल की तरह चाल खेलेंगे|इस तरह की राजनीतिक खेल में नीतीश कुमार खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार होने से इन्कार कर रहे हैं और सिर्फ विपक्ष को एकजुट करने की बातें करते हैं|ठीक उसी तरह लगता है एनसीपी नेता शरद पवार भी तो ऐसी ही बातें करते आ रहे हैं|  जैसे पश्चिम बंगाल का चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी दिल्ली रवाना हुई थीं| नीतीश कुमार भी एनडीए छोड़ कर महागठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेकर वैसी ही चाल खेले हैं| 25 सितंबर, 2021 को चौधरी देवीलाल की स्मृति में ओम प्रकाश चौटाला ने एक रैली बुलायी थी, जिसमें नीतीश कुमार सहित तमाम बड़े नेताओं को न्योता दिया गया था. तभी बिहार में कुछ ऐसा हुआ कि नीतीश कुमार ने हामी भरने के बाद भी अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था| उस विपक्षी जमघट से महीने भर पहले नीतीश कुमार ने चौटाला के साथ दिल्ली में लंच भी किया था,और मालूम हुआ कि ओम प्रकाश चौटाला विपक्षी दलों की वो रैली नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में करना चाहते थे, ताकि वक्त आने पर उनको प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा सके. एनडीए में होने के कारण नीतीश कुमार तब मन मसोस कर रह गये थे|‘देश का प्रधानमंत्री कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो’ – जब नीतीश कुमार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने पटना के जेडीयू ऑफिस पहुंचे तो उनके समर्थक यही नारा लगा रहे थे. ये नारा तब भी लग रहा था जब जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह साफ तौर पर बता चुके हैं कि नीतीश कुमार 2024 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे. आगे के लिए ऐसा कोई आश्वासन अभी तक किसी ने नहीं दिया है. खुद नीतीश कुमार भी इस बात से लगातार इनकार करते आ रहे हैं कि वो देश के अगले प्रधानमंत्री पद के दावेदार या उम्मीदवार हैं|नीतीश कुमार की तैयारी अपनी जगह है, लेकिन ये भी तो जरूरी नहीं कि विपक्ष के सभी नेता उनसे मिलने को तैयार भी बैठे हों. जैसे ममता बनर्जी को मिलने के लिए शरद पवार ने टाइम नहीं दिया था, नीतीश कुमार के साथ भी तो हो सकता|सियासी गलियारे में किस तरह का खेल खेला जा रहा है यह तो आने वाला समय ही बताएगा की अगले देश प्रधानमंत्री का दावेदार नीतीश कुमार होंगे अथवा नहीं| अगर ऐसी कोई सूरत नहीं बन पा रही है, जैसा नीतीश कुमार महसूस कर रहे होंगे कि अगर एनडीए में होते तो एक नया मार्गदर्शक मंडल बना कर उनको भेज देने की कोशिश हो रही होती| ऐसे में नयी मुश्किलें मोल लेते हुए नीतीश कुमार ने अपने भाई जैसे दोस्त के बेटे के साथ डील पक्की करना ही बेहतर समझा| ये तो बिहार के ज्यादातर लोग मानते हैं कि तेजस्वी यादव को एक बार मुख्यमंत्री बनने का मौका तो मिलेगा ही, लेकिन देर भी हो सकती है|श्री कुमार की मदद से तेजस्वी यादव की राह थोड़ी आसान हो सकती है| महागठबंधन में नीतीश कुमार की वापसी में सबसे बड़ा फैक्टर भी यही लगता है | हो सकता है ये आखिरी विकल्प हो, लेकिन लालू यादव को तो यही लग रहा होगा कि नीतीश कुमार ये सब तेजस्वी यादव को बिहार में अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिए कर रहे हैं|. सौदा भी इसी बात पर पक्का भी हुआ होगा|अब देखें आगे क्या-क्या होता है|बिहार की जनता सबका हिसाब मजबूती से रख रही है|

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