Sunday,23,April,2023/Online Desk/Breaking News
Online Desk/RASHTRA VIHAR LIVE 24 NEWS:लगातार हो रहे नदियों में रेत उत्खनन से बिहार की नदियाँ कराह रही है|इतना ही नहीं घटते जल स्तर से हमारे जीवन खतरे में पड़ने का संकेत की घंटी है|अवैध बालू खनन के भंडारण के लिए राज्य भर में कई जगहों पर बालू माफियाओं ने बड़े-बड़े टीले बना रखे हैं| बिहार में रेत खनन के पैमाने को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी कि विभाग के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे यह पता चले कि कितने क्षेत्र में बालू के खनन का काम होता है और राज्य में कितना बालू निकाला जाता है।”
पुलिस और खान विभाग यानी माइंस डिपार्टमेंट के अधिकारियों के बार-बार, ऐसे दावों के बावजूद कि उन्होंने इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की है, इस कारोबार का एक बड़ा हिस्सा अवैध है।
खानन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी स्वीकार करते हैं कि प्रतिबंध हो या न हो, राज्य भर की नदियों में रोजाना बालू का अवैध खनन होता है। उन्होंने यह भी कहा कि बालू माफियाओं, स्थानीय नेताओं, ठेकेदारों, अपराधियों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच मजबूत सांठगांठ के चलते बालू की अवैध निकासी बेरोकटोक जारी है।यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि आप नदी से रेत निकालते हैं, तो आप अपनी कब्र खुद खोद रहे हैं।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर से नदियों और पर्यावरण पर रेत खनन के प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया है। अब तक, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की है कि रेत खनन, एक स्थायी और “पर्यावरण के अनुकूल” तरीके से किया जाए। लेकिन इसकी व्यापक रूप से अनदेखी की गई है।
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