प्रेम का भौंडा प्रदर्शन वैलेंटाइन डे नहीं, बल्कि पश्चिमी संस्कृति की विकृति है

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WEDNESDAY,14,FEBRURY,2024

वर्तमान नई युवा पीढ़ी में वैलेंटाइन डे की जबरदस्त क्रेज : डाॅ. गौरी शंकर

जमुई:/RASHTRA VIHAR LIVE 24 NEWS: वैलेंटाइन डे के अवसर पर नगर परिषद जमुई स्थित आनंद विहार कॉलोनी में ‘वर्तमान परिपेक्ष में वैलेंटाइन डे का औचित्य और सार्थकता’ विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार गोयल ने की.
परिचर्चा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो.गौरी शंकर पासवान ने कहा कि वैलेंटाइन डे भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विरुद्ध है. यह दिवस पश्चिमी साहित्य और संस्कृति की विकृति है. भारत में वैलेंटाइन डे मनाना अपसंस्कृति है. प्यार की शक्ति से ही मानव की जिंदगी चलती है. जब तक पृथ्वी पर मनुष्य रहेगा, तब तक प्यार का वजूद भी बरकरार रहेगा. भूमंडल पर प्यार के औचित्य और सार्थकता को नकारा नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रेम का भोंड़ा प्रदर्शन वैलेंटाइन डे नहीं हो सकता है. प्रेम की महिमा अपरंपार है, लेकिन विडंबना है कि वर्तमान परिपेक्ष में प्रेम की पवित्रता और सादगी समाप्त हो चुकी है. वैलेंटाइन डे जैसे खोखले रीति-रिवाज प्रेम के अस्तित्व को खत्म कर रहा है. उन्होंने कहा कि बुद्ध, महावीर, ईसा मसीह, और महात्मा गांधी ने जिस प्रेम को शांति- सौहार्द स्थापना एवं स्वतंत्रता आंदोलन का अस्त्र बनाया था, उसी प्रेम को आज खुलेआम प्रदर्शनी का वस्तु बना दिया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में प्यार खेल बनकर रह गया है। आजकल प्यार शब्द को इतना गंदा और खोखला बना दिया गया है कि राह चलता है हर कोई आई लव यू कह देता है। प्यार कभी किसी का पुरा नहीं होता है, क्योंकि उसका पहला अक्षर ही अधूरा होता है। प्रो पासवान ने कहा कि तीसरी शताब्दी में रोम के राजा क्लॉडियस ने बेलेंटाइन नामक पादरी को 14 फरवरी के दिन ही फांसी दे दी थी । किवदंती के अनुसार वेलेंटाइन ने दो युगल प्रेमी को चर्च में चुपके से शादी करा दी थी। उसकी आत्मा की शांति हेतु उसके कब्र पर लोग लाल फुल चढ़ाने लगे। तब से वेलेंटाइन डे यानि प्रेम दिवस मनाया जाता है।
शिक्षक दिनेश मंडल ने कहा कि प्रेम स्वर्गीय वरदान और दैवीय उपहार है. वैलेंटाइन डे प्यार और सौहार्द का उत्सव है.संत वैलेंटाइन की याद में प्रेम दिवस मनाया जाता है.उन्होंने कहा कि प्रेम वह शब्द है.जिसकी व्याख्या नामुमकिन है.प्रेम के बिना जीवन बेकार है.प्रेम को किसी परिभाषा की सीमा में बांधा नहीं जा सकता है. किसी नेठीक ही कहा है प्रेम को प्रेम रहने दो, कोई नाम नहीं दो। आज प्यार की पवित्रता को बनाए रखना बहुत आवश्यक है.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभात कुमार भगत ने कहा कि प्रेम एक व्यापक शब्द है. इसे प्रेमी प्रेमिका, स्त्री- पुरुष के प्रेम प्रसंग से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. प्यार के बल पर घर और हिंसक पशु भी मानव का मित्र बन जाते हैं अश्लील प्यार, दिखावटी प्रेम, भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशेषता नहीं है. वैलेंटाइन डे पाश्चात्य संस्कृति की देन है. प्रेम दिवस मनाना सही है, लेकिन प्रेम दिवस के नाम पर आम चौराहे व पार्कों में खुलेआम और गंदा प्रदर्शन करनान्यायोचित नहीं है।
प्रो सोनी कुमारी सिन्हा ने कहा कि प्यार जीवन का आधार शिला है। तभी तो मानव जीवन के शुरुआत से धरती पर प्रेम की पवित्र और निर्मल गंगा अनवरत बहती चली आ रही है। प्यार का अश्लील प्रदर्शन करना हमारी सभ्यता और संस्कृति का लक्षण नहीं है.वैलेंटाइन डे विदेशी साहित्य और संस्कृति का सूचक है.भाई-बहन का प्यार, मां- बेटी का प्यार, पिता- पुत्र का प्यार इत्यादि सही महीने में प्यार है।
वरिष्ठ अधिवक्ता रामचंद्र रविदास ने कहा कि विदेशी संस्कृति का प्रतीक वैलेंटाइन डे वैश्विक फेस्टिवल का रूप अख्तियार कर चुका है हमारे देश में भी युवक और युवतियां वैलेंटाइन डे को त्योहार की तरह मनाने में विशेष रुचि लेने लगे हैं.
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. देवेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि वैलेंटाइन डे का प्रचलन भारत में तेजी से बढ़ा है. प्यार एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है. एक एहसास और विश्वास है. प्रेम में जादू की शक्ति होती है. प्रेम का जादू बड़े-बड़े करतब दिखा सकता है. हमारे देश महात्मा बुद्ध महावीर और गांधी ने इसी प्रेम और प्यार की शक्ति का कमाल पूरी दुनिया को दिखाया है. विदेशी संस्कृति का प्रतीक वैलेंटाइन डे का भारत में विरोध होना चाहिए.
मौके पर प्रो अजीत कुमार भारती, शिक्षक मंटू पासवान, श्याम जी, विपुल कुमार, आशीष कुमार, रोशनी कुमारी आदि सभी ने वैलेंटाइन डे को शालीनता,सादगी एवं पवित्रता के साथ मनाया जाना चाहिए.

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