SATURDAY,14,SEPTEMBER,2024/LOCAL DEK/BREAKING NEWS
नितेश कुमार की रिपोर्ट
– अमन समिति के संयोजक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा : पूरे देश में लागू होनी चाहिए शराबबंदी
– सरकार से माफियाओं के सरगनाओं पर त्वरित कार्रवाई की मांग
– बोले शराबबंदी में खामियां हैं तो उन्हें दुरुस्त किया जाए
गिद्धौर/जमुई/RASHTRAVIHARLIVE 24 NEWS: इन दिनों शराबबंदी को लेकर बिहार का राजनैतिक माहौल गर्म है। जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि उनकी सरकार आयेगी तो सबसे पहले शराबबंदी को खत्म कर दिया जायेगा। इसके पीछे उनका तर्क है कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में हर जगह शराब की होम डिलीवरी हो रही है और शराब माफियाओं को करोड़ों का फायदा हो रहा है, जबकि दूसरी तरफ शराबबंदी से बिहार सरकार को प्रतिवर्ष बीस हजार करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। इन पैसों का उपयोग अन्य जन उपयोगी कार्यों में किया जा सकता था।
ऐसे में अमन समिति के संयोजक जमुई जिलांतर्गत गिद्धौर निवासी धनंजय कुमार सिन्हा ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि बिहार में शराबबंदी सही कदम है। इसे और दुरूस्त करने की जरूरत है। कड़ाई से शराबबंदी का अनुपालन करने पर ही यह पूर्णरूपेण धरातल पर उतर पाएगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अनेकों खामियां हैं तो क्या राजतंत्र ले आया जाए? या फिर लोकतंत्र की खामियों को दूर करने का प्रयास किया जाए? शराबबंदी में खामियां हैं तो उन खामियों को दुरूस्त करने की बात की जाए, न कि शराबबंदी को खत्म करने की। घाव ठीक करने के लिए पैर नहीं काटे जाते। शराबबंदी सौ प्रतिशत सही कदम है। बस इसकी तस्करी में शामिल माफियाओं पर शिकंजा कसने की जरूरत है, जिसके लिए बिहार सरकार को तत्परता से कड़े कदम उठाने चाहिए।
धनंजय ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि पूरे देश में भी शराबबंदी लागू की जानी चाहिए। ऐसी बातें या मांगें सही नहीं हैं कि शराबबंदी से अगर राजस्व का नुकसान हो रहा है तो शराबबंदी को खत्म कर दिया जाए या अगर शराबबंदी के बावजूद इसकी तस्करी जारी है तो शराबबंदी को ही खत्म कर दिया जाए। हमारा देश एक लोक कल्याणकारी राज्य है। सरकार कोई बिजनेस फर्म नहीं है कि हर चीज में सिर्फ आर्थिक लाभ और नुकसान का ध्यान रखकर निर्णय ले। अफीम-चरस-गांजा जैसी कई नशीले पदार्थों की कालाबाजारी देश में हो रही है और इसमें शामिल माफिया भी काफी कमाई कर रहे हैं। इन पर भी शिकंजा कसने की जरूरत है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अगर अफीम, चरस और गांजा जैसे नशीले पदार्थों की कालाबाजारी हजारों करोड़ में हो रही है और सरकार को इससे कोई आर्थिक लाभ नहीं हो पा रहा है तो सरकारें अपने राजस्व-वृद्धि के लिए ऐसे पदार्थों की लाइसेंसी दुकानें खुलवा दे और लाभ कमाने लगे?उन्होंने अमन समिति के माध्यम से सभी राजनैतिक-सामाजिक नेताओं से अनुरोध किया कि वे शराबबंदी को खत्म करने की बात करने की बजाय शराबबंदी में आ रही खामियों को बंद करने की बात और मांग करें। साथ ही, राज्य सरकार से भी अनुरोध किया कि बिहार में शराब माफियाओं के सरगनाओं पर त्वरित कड़ी कार्रवाई की जाए।