भूख और भुखमरी एक वैश्विक त्रासदी और अभिशाप डॉ. गौरी शंकर

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WEDNESDAY,16,OCTOBER,2024/LOCAL DESK/BREAKING NEWS

नितेश कुमार की रिपोर्ट

संपूर्ण भारत में जीरो हंगर प्रोग्राम शुरू करना वर्तमान समय की आवश्यकता

जमुई/RASHTRAVIHARLIVE24 NEWS:अंतर्राष्ट्रीय खाद्य दिवस के अवसर पर केकेएम कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के तत्वाधान में खाद्य उत्पादन भुखमरी और ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो गौरी शंकर पासवान ने की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि खाद्य मानव जीवन के लिए अनिवार्य वस्तु ही नहीं, बल्कि हमारा मूल अधिकार भी है। खाद्य के बगैर संसार के मानव जीवन की कल्पना करना बेमानी है। विश्व में कुछ ऐसे देश हैं, जहां इंसान को भरपेट खाना नहीं मिलता। फलत : समृद्ध और विकसित देश खाद्य पदार्थ मुहैया कराना अपनी जिम्मेदारी समझता है। ईसमें भारत भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन में 1979 में विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की थी और 16 अक्टूबर 1981 से प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता आ रहा है। भूख व भुखमरी एक वैश्विक त्रासदी और अभिशाप है। हर साल विश्व में 50 लाख बच्चों की कुपोषण और भुखमरी से हो जाती है इतना ही नहीं संसार में 50 करोड लोग भूख के कारण बीमारियों से ग्रस्त हैं। इसमें भारत भी शामिल है। इन भूखे लोगों के लिए न कोई राजा है ना रानी। अगर कुछ है तो दावानल की आग में जली हुई जिंदगानी।
प्रो.पासवान ने कहा कि हमारा देश भारत आज गरीब देश को अनाज निर्यात करता है। लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट कहती है कि भूख और भुखमरी के मामले में भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका जैसे निर्धन देश से भी गंभीर स्थिति में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत 2024 के रैंकिंग में 127 देशों में 105 वें स्थान पर है तो पाकिस्तान 109 वें,नेपाल 68वें,बांग्लादेश 84वें श्रीलंका 54वें स्थान पर हैं। मतलब भारत में भुखमरी की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट भ्रामक, भेदभाव और राजनीति से प्रेरित परिलक्षित हो रहा है।
राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ देवेंद्र कुमार गोयल ने कहा की भारत उत्पादन में अग्रणी देशों में एक है। इसके बावजूद कुपोषण और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी चुनौती आज गंभीर है। उन्होंने कहा कि केवल उत्पादन बढ़ाना पर्याप्त नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भोजन या अन्न हर व्यक्ति तक पहुंचे। ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में पड़ोसी देशों से कम आंकना राजनीति और भेदभाव की ओर इशारा कर रहा है।
अर्थविद प्रो.सरदार राम,डॉ सत्यार्थ प्रकाश प्रो.कैलाश पण्डित प्रो.आमोद कुमार सिंह डॉ अजीत कुमार भारती आदि ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यहां खाद्य उत्पादन वर्ष 2023- 24 के दौरान 33 22.98 लाख टन हुआ था। फिर भी वैश्विक भूख सूचकांक रिपोर्ट भारत को रैंकिंग में पड़ोसी देशों से भी पीछे दिखाया गया है। यह बहुत ही चिंताजनक बात है। जबकि गरीबी के चक्रव्यूह से करोड़ों लोग तेजी से बाहर निकल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा का अभाव, गरीबी,तथा अन्य प्राकृतिक आपदा खाद समस्या के कारण हैं। बिहार सहित पूरे देश को भूख मुक्त बनाना होगा। इसके लिए देश में जीरो हंगर प्रोग्राम प्रारंभ करने की जरुरत है।
मौके अनेक शिक्षक, कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे।

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