WEDNESDAY,13,NOVEMBER,2024/LOCAL DESK/BREAKING NEWS
नितेश कुमार की रिपोर्ट
डॉ.सलीम अली एक महान भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी थे
जमुई/RASHTRA VIHAR LIVE 24 NEWS:राष्ट्रीय पक्षी दिवस के अवसर पर केकेएम कॉलेज में “पक्षी का महत्व” विषय पर बुधवार को एक परिचर्चा की गई, जिसकी अध्यक्षता स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि पक्षी हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। उनकी भूमिका न केवल प्रकृति को सुंदर और विविध बनाती हैं,बल्कि वे पर्यावरण के संतुलन और मानव समाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। पक्षी जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक होते हैं,जो वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.पक्षियों की विविधता और सुंदरता के कारण पक्षी पर्यटन एक लोकप्रिय गतिविधि है,जिससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। उन्होंने कहा कि पक्षी वैज्ञानिक डॉ. सलीम को “बर्ड मैंन ऑफ इंडिया” कहा जाता है। पक्षियों के संरक्षण और अध्ययन में उनके अद्वितीय योगदानों को विस्मृत नहीं किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि के बतौर अपने संबोधन में प्राचार्य डॉ. चंद्रमा सिंह ने कहा कि डॉ सलीम अली एक महान भारतीय पक्षी वैज्ञानिक और फिजियोक्रेट्स थे। पक्षी देश दुनिया के पर्यावरण को संतुलित बनाए रखते हैं। वे विभिन्न स्थानों पर सीड्स गिराकर वनस्पतियों के विस्तार में योगदान देते हैं,जिससे जैव विविधता को बनाए रखने में मदद मिलती है। पक्षी खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे फसल नाशक कीटों की संख्या को नियंत्रित करते हैं, जिससे फसलों की सुरक्षा होती है। भारत में प्रत्येक साल 12 नवंबर को राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने डॉ सलीम के जन्म दिन को राष्ट्रीय पक्षी दिवस बनाने की घोषणा कर उनके प्रति सबसे बड़ी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
राजनीतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने कहा कि पक्षी और प्रकृति में गहरा संबंध है। पक्षी धरोहर के रूप में संरक्षण करना चाहिए। डॉ. सलीम पक्षियों के सबसे बड़े संरक्षक थे। इनका जन्म 12 नवंबर 1896 को मुंबई में हुआ था। पक्षियों के संरक्षण हेतु भारत सरकार को विशेष नीतियां बनानी चाहिए। इनसे हमारा पर्यावरण संतुलित रहता है।
पॉलिटिकल साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ देवेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि पक्षी प्रकृति का अनमोल उपहार व श्रृंगार हैं। डॉ. सलीम पक्षियों पर कई पुस्तक लिखी हैं, जिसके कारण भारत में पक्षी विज्ञान को लोकप्रियता मिली। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया है। हमें पक्षियों के संरक्षण हेतु प्रयत्न करना चाहिए और उनके महत्व को समझना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियां भी इस प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कर सके।
जूलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार ने कहा कि पक्षी प्रकृति प्रदत्त नि:शुल्क गिफ्ट हैं। पक्षी का जूलॉजिकल महत्व पारिस्थितिकी, कृषि, और वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में अत्यधिक है। पक्षी की विविधता पर्यावरण के स्वास्थ्य का प्रमाण है। पर्यावरण प्रदूषण पक्षियों के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो रहा है। वैश्विक तपन के कारण आज गौरैया,कौवा और गिद्ध जैसे पक्षी विलुप्ति के कगार पर हैं। पक्षी संरक्षण के लिए सरकार को सख्त नीतियां बनाने की आवश्यकता है।
मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. रणविजय सिंह ने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए पक्षियों का होना आवश्यक है। यही नहीं पक्षियों से मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मानव को मिलता है। पक्षियों की चहचहाहट से मानव मन को शांति और खुशी मिलती है। कहते हैं कि प्रकृति के समीप रहना और पक्षियों के साथ समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे तनाव में कमी आती है और मन में सुकून की भावना जागृत होती है।
इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ सत्यार्थ प्रकाश ने कहा कि पर्यावरण संतुलन में पक्षियों की सार्थक भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। ग्लोबल वार्मिंग का दुष्प्रभाव पक्षियों पर पड़ना चिंताजनक है। डॉ सलीम एक महान पक्षी वैज्ञानिक थे। उन्होंने पक्षियों के व्यवहार, उनकी प्रजातियों पर गहन अध्ययन किया है। बर्लिन विश्व विद्यालय ने उनके पक्षी विज्ञान के ज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिया है।
अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ अनिंदो सुंदर पोले ने कहा कि डॉ सलीम भारतीय पक्षीविज्ञान के जनक माने जाते हैं। उन्होंने भारत में पक्षियों पर काफी रिसर्च और अध्ययन किया है। डॉ सलीम के जन्म दिन को राष्ट्रीय पक्षी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पक्षियों का पर्यावरणीय संतुलन में अहम योगदान होता है। इनसे मानव भी लाभान्वित होते हैं।
हिंदी के विभागाध्यक्ष प्रो कैलाश पंडित ने कहा कि पक्षी पर्यावरण और मानव के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं। पक्षी छोटे-छोटे किट और पतंगों को भोजन करते हैं, जिससे कीटों की संख्या नियंत्रित रहती है तथा फसलों की सुरक्षा भी होती है। कुछ पक्षी प्राकृतिक सफाईकर्ता का कार्य करते हैं और बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। अतः पक्षियों का संरक्षण करना चाहिए। डॉ सलीम आज हमारे बीच नहीं है। उन्होंने 20 जून 1987 को मुंबई में अंतिम स्वांस ली थी। उनके कृतित्व ने उन्हें अमर बना दिया है।
मौके पर प्रो सरदार राम,डॉ.उदय नारायण घोष, डॉ आमोद कुमार सिंह, डॉ अजीत कुमार भारती, डॉ सत्या शुभांगी, डॉ.अंसार अहमद तथा शिक्षकेतर कर्मचारी उपस्थित थे।